Twilight Of Poem

आज भी तुम्हारी याद आती है।


आज भी तुम्हारी याद आती है।


अकेलापन होता है आज भी।
बस इसे मिटाने को तुम नहीं होती।
आज भी में रातों में जगा करता हूं
तन्हाई में कुछ लफ्जो के साथ खेला करता हूं।
बस तुम नहीं होती सुनने को।
आज भी जब बारिश होती है
वोह गाने जो तुम्हे पसंद था 
धीमी आवाज में गाया करता हूं।
बस तुम नहीं होती साथ में गुनगुनाने को।
आज भी तुम्हारी याद आती है
जब खाली रास्ते पे चलता हूं
जब उस चाय के टपरी पे जाता हूं
जहा हम घंटो बातें किया करते थे
बस तुम नहीं होती साथ में।
आज भी जब थका होवा घर लौटता हूं
हाथ में कॉफ़ी और मोबाइल होती है
लेकिन मोबाइल में न तुम्हारी कॉल होती ना मेसेज।
कुछ साथ है तो वह
तुम्हारी याद, कुछ मीठी पल कुछ दर्द का एहसास।

लेखक:
मिलिक आहमेद।

(सभी अधिकार लेखक द्वारा आरक्षित है। उचित अनुमति के बिना नकल करना एक अपमानजनक कार्य है।)

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