Twilight Of Poem

मा।

मा!

अभिनन्दा कर


मेरा एक निवाला कम पड़े तो अपनी पूरी थाली मुझे देती है,
मेरे हर मुश्किल को न जाने कैसे मिनटों में वह समझा देती है |

 तकिया नहीं चाहिए उसे -  कभी-कभी मेरे कंधे पर सर रखकर ही सो जाती है,
आज भी मेरे गाल पकड़ के मेरे बिखरे बालों को वह ठीक करके देती है |

मेरा पहला प्यार है वह,
उसी पर जाकर मेरी सांसे रूकती है,
धरती पर कहीं भगवान को तो नहीं देखा - 
पर मैंने अपने मां को देखा है,
मैंने अपने मां को देखा है ||

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